Friday, July 5, 2013

युद्ध

कुछ उलझते हुए से
कुछ खुद से लडते हुए से
विचारो का युद्ध हूँ मैं!
कभी बोझिल हुआ तो
नाउमीदी का दरवाज़ा
खटखटा दिया!
दरवाज़ा कभी खुला नहीं!
बस उम्मीद रही के
लड़ते है विचार
खुद थक कर बेठ जाएंगे !
मगर मेरे चुपचाप बेठ जाने पर
हावी हो जाते है मुझ पर!
बस उम्मीद है कभी
इस जनम में न सही
पर किसी जनम में तो
यह मेरे अपने होंगे
मेरे साथ होंगे
मेरे है तो मेरा कहा मानेगे
मेरे खिलाफ मेरा अपने
विचार मुछसे तो नहीं युद्ध करेंगे!!!

जिंदगी बनाम यात्रा

उलझनों के बीच से
गुज़रती जिंदगी !
कब बेबसी का शिकार होजाती है!
और चलती रहती है यात्रा!
मंजिलो की तलाश में!
मंजिल, जो है ही नहीं
और मौत तो मंजिल है भी नहीं!
वो तो चिन्ह है यात्रा के ख़तम होने का!
फिर पाना क्या है जिंदगी को!
हर कोई क्या पाना चाहता है!
प्रश्नों का दोर चलता रहता है!
वक़्त मगर गुज़र जाता है!
यात्रा भी ख़तम हो जाती है!
मंजिल भी मिल नहीं पाती है!
और पाने को क्या था ..
प्रशन , प्रशन रह जाता है!

Tuesday, March 19, 2013

New Begining

With the Dawn everyday
I get this feeling..
I am not alone
I am not sad
I am not heartbreak
I am not lost
I have just started
It is a new begining everyday!!!!